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संसार / विश्व की प्रमुख झीलें

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 संसार / विश्व की प्रमुख झीलें  सरल भाषा में झील भूतल के वे विस्तृत गड्ढे हैं जिनमें जल भरा होता है। अन्य शब्दों में झील जल का वह स्थिर भाग है जो चारो तरफ से स्थलखंडों से घिरा होता है। झीलों का जल प्रायः स्थिर होता है। झीलों की एक महत्वपूर्ण विशेषता उनका खारापन होता है लेकिन अनेक झीलें मीठे पानी की भी होती हैं। जबकि झील की दूसरी विशेषता उसकी स्थायित्व है। यूँ तो दुनिया के लगभग हर देश में आनेको प्रसिद्ध झीलें हैं लेकिन फिर भी फिनलैंड को झीलों का देश कहते है। यहां की सबसे बड़ी झील साइमा है। जबकि विश्व की सबसे बड़ी झील- कैस्पियन सागर है जो ईरान, रूस, कजाखस्तान, अज़रबैजान और तुर्कमेनिस्तान से घिरी हुई हैं। इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 3 लाख 71 हजार वर्ग किलोमीटर है दुनिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील "कैस्पियन सागर" ही है!  अब अगर बात करे सबसे बड़ी मीठे पानी की झील तो वह है सुपीरियर झील , जो कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच में स्थित है, विशाल झीलो में यह क्षेत्रफल और आयतन दोनों ही में सबसे विशाल झील है। यह आकार की दृष्टि से विश्व में ताज़े पानी की सबसे बड़ी झील...

झारखंड सामान्‍य ज्ञान

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भोगता विद्रोह : 1771 ई . वस्तुतः भोगता विद्रोह 1770 - 71 ई , के चेरो विद्रोह की एक पूरक घटना था । पलामू राजा चित्रजीत राय का दीवान ( प्रधानमंत्री ) जयनाथ सिंह एक भोगता सरदार था । अंग्रेज सीधे जयनाथ सिंह से ही बात करते थे । 9 जनवरी , 1771 ई . को जयनाथ सिंह को पटना काउन्सिल का पत्र उसके दूत गुलाम हुसैन खाँ के मार्फत मिला , जिसमें उसे शांतिपूर्वक पलामू किला कम्पनी के हवाले कर देने का आदेश दिया गया था । यहीं से भोगता विद्रोह का आरंभ हुआ । यह चेरा लोगों के साथ मिलकर लड़ा गया । जयनाथ सिंह पलामू किला छोड़ने को तैयार था किन्तु कुछ शर्तों के साथ । चूँकि कम्पनी पलामू किला हथियाने पर आमादा थी इसलिए अंग्रेजों ने जयनाथ सिंह द्वारा रखी गई शर्तों को अनुचित कहकर उन्हें मानने से इंकार कर दिया । लड़ाई छिड़ गई । भोगता और चेरो दोनों ने साथ मिलकर अंग्रेजों का मुकाबला किया , किन्तु भोगता सरदार जयनाथ सिंह पराजित होकर सरगुजा भाग गया और अंग्रेजों ने गोपाल राय को पलामू का राजा घोषित कर दिया । घटवाल विद्रोह : 1772 - 73 ई .    पहाड़ियों के घाटों ( रास्तों ) से महसूल वसूलने वाले को ...